सैलरी पर IIM का दावाः सरकारी कर्मचारियों की शुरू में, प्राइवेट वालों की बाद में मौज
सैलरी पर IIM अहमदबाद ने स्टडी के बाद निष्कर्ष निकाला है कि अनुभव के साथ निजी कंपनियों में सैलरी तेजी से बढ़ती है जबकि आगे चलकर दोनों के बीच वेतन का अंतर कम रह जाता है।
अहमदाबाद (प्रेट्र)। प्रवेश स्तर यानी एंट्री-लेवल की नौकरियों में केंद्र सरकार और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसयू) के कर्मचारियों को ज्यादा वेतन मिलता है। लेकिन अनुभव के साथ निजी कंपनियों में सैलरी बढ़ती है। आइआइएम-अहमदाबाद की ओर से सातवें वेतन आयोग के लिए किए गए अध्ययन में यह बात कही गई है।
आइआइएम को यह अध्ययन इसलिए करने को कहा गया था ताकि आयोग वेतन का संशोधन इस तरह कर सके जिससे सरकारी नौकरियों की तरफ प्रतिभा को आकर्षित किया जाए। इस अध्ययन में सरकारी क्षेत्र, सीपीएसयू और निजी सेक्टर में अनुभव के आधार पर वेतन की तुलना की गई। इसके लिए अनुभव को एंट्री, तीन, पांच, दस, पंद्रह, बीस और पच्चीस साल में बांटा गया। रिपोर्ट को बीते साल अक्टूबर में सातवें वेतन आयोग को जमा किया गया था।
अध्ययन कहता है कि अलग-अलग क्षेत्रों में एंट्री-लेवल पर प्राइवेट कंपनियों की तुलना में सरकार या सीपीएसयू अधिक भुगतान करते हैं। कई नौकरियों में जैसे-जैसे कर्मचारियों का अनुभव बढ़ता है, सैलरी का अंतर घटता जाता है। यहां तक सरकारी के मुकाबले निजी नौकरियों में पगार आगे भी निकल जाती है।
अध्ययन में नर्स, डॉक्टर, डाइटीशियन, फिजियोथेरेपिस्ट, लैब टेक्नीशियन, स्कूल टीचर, प्रिंसिपल, वैज्ञानिक, टेक्निकल स्टाफ, इंजीनियर, क्लर्क, सॉफ्टवेयर डेवलपर, अकाउंट ऑफिसर, ड्राइवर, माली सहित अन्य की सैलरी पैटर्न को शामिल किया गया।
अध्ययन कहता है कि शुरुआती वर्षो में ज्यादातर मामलों में प्राइवेट सेक्टर की तुलना में सरकार अधिक वेतन का भुगतान करती है। कुछ उच्च कौशल वाली नौकरियों में बाद के वर्षो में पगार निजी के मुकाबले सरकारी सेक्टर में अपेक्षाकृत कम है। नर्सो की एंट्री-लेवल सैलरी को ही लें, तो ये निजी अस्पतालों की तुलना में सरकारी अस्पतालों में ज्यादा है। मिड-करियर लेवल पर पगार करीब-करीब बराबर हो जाती है। एमबीबीएस डॉक्टरों के मामले में एंट्री-लेवल पर सीपीएसयू सरकारी या प्राइवेट सेक्टर से ज्यादा भुगतान करते हैं। अनुभव के साथ भी यह अंतर बना रहता है। हालांकि, विशेषज्ञ डॉक्टर के मामले में यह बात लागू नहीं होती। एंट्री-लेवल पर सीपीएसयू में जरूर इनकी सैलरी ज्यादा होती है, लेकिन तीन साल बाद निजी अस्पतालों में इन डॉक्टरों के वेतन में तेज इजाफा होता है। यह उनकी विशेषज्ञता पर निर्भर करता है।