बदलेगी ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर की परिभाषा
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलौत ने कहा है कि इस वर्ष के अंत तक सरकार इसकी समीक्षा कर लेगी।
नई दिल्ली। सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर की परिभाषा जल्दी ही बदल सकती है। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलौत ने कहा है कि इस वर्ष के अंत तक सरकार इसकी समीक्षा कर लेगी।
माना जा रहा है कि क्रीमी लेयर की मौजूदा छह लाख सालाना आय की सीमा को बढ़ा कर आठ लाख रुपये तक किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा हर तीन साल में क्रीमी लेयर (मलाईदार तबका) और दूसरे प्रावधानों की समीक्षा की व्यवस्था पहले से ही की गई है। क्रीमी लेयर की पिछली समीक्षा वर्ष 2013 में हुई थी, इसलिए इस वर्ष इसे फिर से तय करना होगा।
इस समय जिसकी वार्षिक पारिवारिक आय छह लाख रुपये से अधिक है, उसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए तय आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे लोगों को क्रीमी लेयर मान कर इससे बाहर कर दिया जाता है। मगर इस पाबंदी की वजह से कई मामलों में ओबीसी कोटा के पद उपयुक्त उम्मीदवार की कमी की वजह से रिक्त ही रह जाते हैं। लंबे समय से इस सीमा को बढ़ाने की मांग हो रही है।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने पहले ही क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ा कर 15 लाख रुपये सालाना करने की सिफारिश की है। लगातार बढ़ती महंगाई और लोगों की बढ़ती आय को देखते हुए आय सीमा बढ़ाने की जरूरत सरकार भी मान रही है। हालांकि सरकार एकदम से इतना बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। सरकारी नौकरियों और केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में 27 फीसदी पदों को ओबीसी के लिए आरक्षित रखा गया है।