बुढ़ों का गांव बना गुजरात का चांदणकी, यहां नहीं रहते नौजवान
गुजरात के सुदूर इलाकों में ऐसे कई गांव हैं, जहां युवाओं की संख्या नगण्य है। आइए आपको गुजरात के ऐसे गांव के बारे में बताते है, जहां नौजवान ही नहीं रहते।
अहमदाबाद। आजादी के इतने सालों बाद भी पलायन देश की एक बड़ी समस्या है। रोजगार की तलाश में करोड़ों युवा शहरों का रुख करते हैं। गुजरात के सुदूर इलाकों में ऐसे कई गांव हैं, जहां युवाओं की संख्या नगण्य है। आइए आपको गुजरात के ऐसे गांव के बारे में बताते है, जहां नौजवान ही नहीं रहते। गुजरात के मेहसाणा जिले की बेचराजी तहसील में स्थित चांदणकी गांव जहां अब केवल 65 से 65 से 80 वर्ष के लोग ही बचे हैं।
एक समय इस गांव की जनसंख्या 1500 थी लेकिन अब घटकर महज 300 रह गई है। अब तक इस गांव से 900 से ज्यदा युवा नौकरी की तलाश में अहमदाबाद से अमेरिका तक पहुंच गए हैं। गांव के 20 से भी अधिक युवक राज्य के अलग-अलग शहरों-कस्बों में डाक्टर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गांव के ये नागरिक कुछ समय के लिए अपने परिजनों के यहां शहर में भी रहने के लिए जाते है। हालांकि वे कुछ समय के बाद वापस आ जाते है। गांव की पंचायत का संचालन भी वरिष्ठ महिलाओं के हाथ में हैं।
पढ़ेंः नई स्कीम, महिला सशक्तीकरण की नई इबारत लिखेंगे बैंक
इस गांव के निवासी केवल प्रजापति ने बताया कि राज्य में पंचायत राज की स्थापना के बाद अभी तक एक भी बार सरपंच का चुनाव नहीं हुआ है। अभी तक जो भी सरपंच बना उसने गांव की तरक्की के लिए काम किया। यह गांव राज्य सरकार की समरस योजना से लाभान्वित होता रहा है। गांव की गली-गली पक्की करवा दी गई है।
यहां सभी घरों में शौचालय है, हर गली में लाइट और 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाती है। यहां गांव के लोगों को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं है। यहां गांव के लोगों की उम्र 60 से अधिक होने के कारण वे खेती में काम नहीं करते। इन्हें संतानों की ओर से भी कोई असुविधा नहीं है।