Move to Jagran APP

AAI हवाई अड्डों का रूप सुधरा, नहीं सुधरे लक्षण

प्राइवेट एयरपोर्ट के मुकाबले एयरपोर्ट अथॉरिटी के हवाई अड्डे बाहर से देखने में कहीं से भी कम नहीं लगते।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 12:06 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 05:16 AM (IST)
AAI हवाई अड्डों का रूप सुधरा, नहीं सुधरे लक्षण

नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। आधुनिकीकरण और विस्तार के नाम पर जनता का अरबों रुपया फूंकने के बावजूद एयरपोर्ट अथॉरिटी (एएआइ) के ज्यादातर एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर फिसड्डी साबित हो रहे हैं। सुविधाओं और सेवाओं के मामले में निजी एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों को टक्कर दे रहे हैं। वहीं एएआइ की ओर से नवनिर्मित हवाई अड्डों में इंफ्रास्ट्रक्चर को छोड़कर कुछ नहीं बदला है।

loksabha election banner

वैसे तो प्राइवेट एयरपोर्ट के मुकाबले एयरपोर्ट अथॉरिटी के हवाई अड्डे बाहर से देखने में कहीं से भी कम नहीं लगते। लेकिन जब बात भीतर की सुविधाओं, सेवाओं और प्रबंधन की आती है तो प्राइवेट एयरपोर्ट के आगे ये कहीं नहीं ठहरते। यहां तक कि चेन्नई जैसे जिन हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण पर हजारों करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए गए, उनकी हालत भी संतोषजनक नहीं है। यही हाल लखनऊ, चंडीगढ़, अमृतसर और श्रीनगर एयरपोर्ट जैसे अनेक अन्य हवाई अड्डों का है।

अब लखनऊ के चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट को ही लीजिए। तकरीबन 120 करोड़ की लागत से 2012 में तैयार नए चमकदार टर्मिनल के बावजूद यह एयरपोर्ट अव्यवस्थाओं से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है। यहां पार्किंग तथा सिक्योरिटी के व्यापक इंतजाम हैं। लेकिन टर्मिनल के ठीक सामने आड़ी-तिरछी गाडि़यां लगाते और जहां-तहां पान की पीक बिखेरते लोग अब भी मिल जाएंगे।

टर्मिनल के भीतर भी हालात बहुत अच्छे नहीं कहे जा सकते। यहां तक कि लोगों के बैठने तक का समुचित इंतजाम नहीं किया गया है। शुरू में तो निर्माण में खामियों की वजह से टर्मिनल की छत से जगह-जगह पानी टपकता था। उसे तो अब ठीक कर लिया गया है। लेकिन रखरखाव का बंदोबस्त ठीक न होने से टर्मिनल की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है।

इसी तरह 1400 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी चंडीगढ़ का नया इंटरनेशनल टर्मिनल भी उदास है। महज दस माह पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। लेकिन इंटरनेशनल उड़ानों के अभाव में यह सफेद हाथी साबित हो रहा है। फिलहाल इसका इस्तेमाल केवल डोमेस्टिक उड़ानों के लिए हो रहा है। उनकी संख्या भी रोजाना 20 से ज्यादा नहीं है। जानकारों का मानना है कि यदि इंटरनेशनल उड़ानें शुरू भी हो गई तो भी यहां समुचित यातायात मिलना मुश्किल है। ऐसे में इसके रखरखाव पर सालाना 70 करोड़ रुपये के खर्च का इंतजाम कैसे होगा यह बड़ा प्रश्न है।

तकनीकी खराबी के चलते 20 मिनट देरी के बाद एयर इंडिया की फ्लाइट ने की लैंडिंग

अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी एयरपोर्ट के नवीकरण पर भी एएआइ ने 150 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। हर साल होने वाले औसतन 50 करोड़ रुपये के घाटे के कारण इसकी हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही। इंटरनेशनल एयरपोर्ट का तमगा होने के बावजूद अनेक एयरलाइंस यहां से उड़ानें बंद करने पर विचार कर रही हैं।

जहां तक श्रीनगर एयरपोर्ट का प्रश्न है तो यहां सिक्योरिटी सबसे बड़ी समस्या है। इसके कारण अंतहीन लाइनों से छुटकारा मुश्किल है। सिक्योरिटी पर अत्यधिक जोर के कारण इस एयरपोर्ट के बाकी इंतजामों पर ध्यान देने की किसी को फुरसत ही नहीं है। इसकी वजह से यात्रियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

जब इंदौर एयरपोर्ट बना था तो इसके बाहरी लुक को देखकर लोगों को खुशी हुई थी। जल्द ही यह निराशा में बदल गई। ऊपर से लकदक दिखने वाला टर्मिनल भीतर से बदइंतजामी का शिकार है। यहां चेक इन काउंटरों पर अक्सर स्टाफ की कमी रहती है। इसी तरह बोर्डिग गेट की गलत सूचना के कारण अक्सर यात्रियों को गफलत का शिकार होना पड़ता है।

विमानन नीति से हवाई किराये बढ़ेंगे : आइटा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.