सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नबाम तुकी ने दिल्ली में ही संभाला कार्यभार
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने अरुणाचल भवन में कामकाज संभाल लिया है।
इटानगर, प्रेट्र। नबाम तुकी ने दिल्ली में ही अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाल लिया है। वह राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने कहा कि अरुणाचल भवन में ही कामकाज संभाल लिया है।
राज्य में कांग्रेस सरकार को बहाल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उन्होंने स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, 'न्यायपालिका में मेरी पूरी आस्था है और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार काम करूंगा।'
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शीर्ष अदालत के फैसले की सराहना करते हुए अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पादी रिचो ने कहा, 'यह संविधान और लोगों की जीत है।' शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा का राज्य विधानसभा का सत्र एक महीना पहले बुलाना संविधान का उल्लंघन था और यह निरस्त किए जाने के योग्य है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ के सभी पांच न्यायाधीशों ने ध्वनिमत से राज्यपाल के फैसले को दरकिनार किया है।
तारीखों के आईने में
- 9 दिसंबर 2015: कांग्रेस के बागी विधायक राज्यपाल जेपी राजखोवा के पास पहुंचे। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया को हटाए जाने की गुहार लगाई। विधायकों ने लगाया आरोप कि विधानसभा अध्यक्ष कर रहे हैं उनकी सदस्यता रद करने की कोशिश।
- 16 दिसंबर: राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव के लिए बुलाया आपातकालीन सत्र। कांग्रेस ने जताया विरोध। केंद्र ने नजरंदाज किया कांग्रेस का पक्ष। राज्य में लगाया राष्ट्रपति शासन। सामुदायिक केंद्र में बुलाया गया आपातकालीन सत्र। शामिल हुए कांग्रेस के 20 बागी विधायक, 11 भाजपा और दो निर्दलीय विधायक। महाभियोग प्रस्ताव हुआ पास। कलिखो पुल चुने गए सदन के नेता। इसी दिन विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के 14 विधायकों अयोग्य घोषित कर दिया।
- 5 जनवरी 2016: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित करने के फैसले पर लगाया स्टे। विधानसभा अध्यक्ष की याचिका की खारिज।
- 5 जनवरी 2016: विधानसभा अध्यक्ष द्वारा डाली गई सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक खंडपीठ के पास भेजा।
- 29 जनवरी 2016: नबाम तुकी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की नई याचिका। दी अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को चुनौती।
- 30 जनवरी 2016: कानून व्यवस्था चरमराने का हवाला दे केंद्र ने सही ठहराया राष्ट्रपति शासन लगाने का कदम। कहा अल्पमत में भी कांग्रेस सरकार।
- 2 फरवरी 2016: राज्यपाल राजखोवा ने दी दलील कहा अस्थायी रूप से लगाया गया था राष्ट्रपति शासन। जल्द बनेगी नई सरकार।
- 4 जनवरी 2016: सुप्रीम कोर्ट ने अपनाया सख्त रुख। कहा राज्यपाल ने न्यायिक बेंच के सामने नहीं साझा किए सारे फैसले। कहा कोर्ट मात्र दर्शक बनकर नहीं रह सकती जबकि संवैधानिक प्रक्रिया की हो रही है हत्या।
- 10 फरवरी 2016: विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ बागी विधायकों द्वारा दाखिल की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज।
- 19 फरवरी 2016: राज्य से हटाया गया राष्ट्रपति शासन।
- 20 फरवरी 2016: कलिखो पुल ने ली अरुणाचल के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ। कांग्रेस के 18 बागी और दो निर्दलीय विधायकों की मदद से बनी सरकार। भाजपा ने दिया बाहर से समर्थन। शपथग्रहण ठीक उस दिन के बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने हटाया अंतरिम आदेश। इसमें थी विधानसभा की यथास्थिति बरकरार रखने की बात। जिससे सरकार बनाने का रास्ता हो सके साफ।
- 23 फरवरी 2016: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि उसके पास है घड़ी की सुइयों को पीछे करने का अधिकार। अरुणाचल विधानसभा जैसे संवैधानिक उल्लघंन जैसी स्थिति पर किया जा सकता है इसका उपयोग। राज्यपाल के आदेश को माना असंवैधानिक जिससे बनी थी नई सरकार।
- 25 फरवरी 2016: पुल ने विश्वासमत हासिल किया। 17 कांग्रेस विधायकों समेत पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी रहे सदन से अनुपस्थित।
- 3 मार्च 2016: मुख्यमंत्री तुली का पक्ष लेने वाले कांग्रेस के 20 बागी विधायक पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) में हुए शामिल। इससे इनपर कानूनी कार्रवाई करने में कांग्रेस हुई असमर्थ। मुख्यमंत्री ने की पीपीए में इनके विलय की घोषणा। कहा कांग्रेस ने नहीं छोड़ा है इनके लिए कोई रास्ता।
- 6 मई 2016: कांगे्रस के शीर्ष नेताओं ने जंतर मंतर पर जताया विरोध प्रदर्शन। कहां केंद्र ने असंवैधानिक रूप से लगाया उत्तराखंड और अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन। कुछ नेताओं ने दी गिरफ्तारी।
- 13 जुलाई 2016: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को ठहराया गैर-कानूनी। राज्य में बना दी पुरानी सरकार
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