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ना खंडवा जेल ब्रेककांड, ना कैग की रिपोर्ट से लिया सबक

सिमी आतंकियों के भोपाल सेंट्रल जेल से भागने की घटना पर भले ही सरकार ने जेल विभाग के पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया हो, पर सरकार ने पिछली गलतियों से कोई सबक नहीं लिया।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Mon, 31 Oct 2016 09:26 PM (IST)Updated: Tue, 01 Nov 2016 03:32 AM (IST)
ना खंडवा जेल ब्रेककांड, ना कैग की रिपोर्ट से लिया सबक

नई दुनिया, भोपाल। सिमी आतंकियों के भोपाल सेंट्रल जेल से भागने की घटना पर भले ही सरकार ने जेल विभाग के पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया हो, पर सरकार ने पिछली गलतियों से कोई सबक नहीं लिया। आतंकी जिस तरीके से अक्टूबर 2013 में खंडवा जेल से भागे थे, लगभग उसी तरह यहां भी वे सेंट्रल जेल से भागे।

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खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इशारो-इशारों में इस घटना के पीछे जेल से जुड़े अधिकारियों - कर्मचारियों के होने की आशंका जताई है। इससे पहले प्रमुख सचिव जेल विनोद सेमवाल ने भी आशंका जाहिर की थी कि घटना के पीछे अंदर के कर्मचारी की मिलीभगत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

देखा जाए तो देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने वर्ष 2015 में प्रदेश की विभिन्न जेलों को लेकर अपनी रिपोर्ट में जो खामियां उजागर की थीं, उससे भी सरकार ने सबक नहीं लिया। आइएसओ प्रमाणित और सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली भोपाल सेंट्रल जेल में भी कई खामियां सामने आईं थीं।

दूसरे जेल में शिफ्ट करने की उठी थी मांग

सूत्र बताते हैं कि सिमी आतंकियों के जेल में लगातार परेशान करने और हर दिन बर्तन बजा-बजाकर प्रहरियों को उकसाने की घटना आम होने के बाद सेंट्रल जेल प्रबंधन ने भी जेल विभाग से कुछ चुनिंदा कैदियों को दूसरी जेल में शिफ्ट करने की बात कही थी, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। वर्तमान में भोपाल सेंट्रल जेल में सिमी के लगभग 35 आतंकी थे, जिसमें से आठ के मारे गए। घटना के बाद से जेल की सुरक्षा व्यवस्था और बढ़ा दी गई है।

सीसीटीवी कैमरे के उपयोग का प्रशिक्षण नहीं

रिपोर्ट से ये खुलासा भी हुआ था कि जेल की सुरक्षा बढ़ाने व कैदियांे पर नजर रखने के लिए करीब 17 करोड़ रुपए खर्च कर 16 जिलों की जेलों में सीसीटीवी कैमरे सरकार ने लगवाए, लेकिन विभाग आधे से ज्यादा जेलांे में कर्मचारियों को कैमरों के संचालन व उपयोग को लेकर ना तो प्रशिक्षण दिया और ना ही प्रशिक्षित कर्मचारी रखे। ये हाल भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, सागर, रीवा, दतिया, नरसिंहपुर सिवनी व सतना की जेलों का है।

कैदियों से करवाते थे एंट्री

रिपोर्ट के अनुसार भोपाल सहित ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन सहित नरसिंहपुर, रीवा, सतना, सागर व सिवनी के जेल में बंदियों की जो जानकारी जेल विभाग के कर्मचारियों को जानकारी जेल प्रबंधन प्रणाली (पीएमएस) और मुलाकात प्रबंधन प्रणाली (वीएमएस) में अपलोड करनी थी उसे कैदियों से ही भरवाया जा रहा था। साथ ही जो जानकारी अपलोड की जा रही है उसे जेल अधीक्षक या किसी अन्य अधिकारी ने सत्यापित भी नहीं किया।


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