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आजादी के लिए आवाज उठाएं लेकिन अवार्ड लौटा उसका अनादर न करेंः थरूर

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रसिद्ध लेखकों द्वारा साहित्य अकादमी अवार्ड लौटाने के फैसले के विपरीत राय जताई है। उन्होंने अवार्ड लौटाने को सम्मान का अनादर बताया।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2015 07:39 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2015 10:02 PM (IST)

तिरुअनंतपुरम। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रसिद्ध लेखकों द्वारा साहित्य अकादमी अवार्ड लौटाने के फैसले के विपरीत राय जताई है। उन्होंने अवार्ड लौटाने को सम्मान का अनादर बताया। हालांकि उन्होंने लेखकों द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी के लिए आवाज उठाने का समर्थन किया।

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उन्होंने कुछ लेखकों द्वारा अकादमी अवार्ड लौटाए जाने पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि अवार्ड बौद्धिक, साहित्यिक, सृजनात्मक और अकादमिक गुणों का सम्मान है। यह राजनीतिक कार्य नहीं है। साहित्य अकादमी स्वतंत्र संस्थान है जबकि लोगों की चिंताएं राजनीतिक हैं।

उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात का विरोध करें, आजादी के लिए आवाज उठाएं लेकिन अवार्ड का अनादर न करें। थरूर ने साथ ही कहा, वह इस बात से खुश हैं कि इतने सारे लोग अपने सिद्धांत के लिए आगे आए। जबकि अन्य बहुतों ने इस पर मौन रहना बेहतर समझा। लेखकों की चिंताएं सही हैं।

अवार्ड लौटाना राजनीति से प्रेरित: खेर

इस बीच भाजपा सांसद किरण खेर ने साहित्य अकादमी अवार्ड लौटाने को राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि 1984 में सिख विरोधी दंगे में करीब तीन हजार लोग मारे गए, तब किसी लेखक ने अवार्ड नहीं लौटाया। दादरी जैसी दुखद घटना देश में वर्षों से होती रही हैं।

अब ये लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस को लेकर हो-हल्ला मचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द सच सामने आएगा। उन्होंने दावा किया कि इन लेखकों को पूर्व की कांग्रेस सरकार का संरक्षण मिला था।

गोवा के लेखक अवार्ड नहीं लौटाएंगे

लेखक दामोदर माउजो ने कहा कि कोंकणी भाषा के 11 लेखक अपना साहित्य अकादमी अवार्ड नहीं लौटाएंगे। हालांकि उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी के प्रति बढ़ती असहिष्णुता की निंदा की। अन्य लेखकों पुंडालिक नाइक, दिलीप बोरकर, दत्ता नाइक, हेमा नाइक, नागेश करमाली और एन. शिवदास ने भी यही बात कही।


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