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नेता आदर्श होते हैं उनका पढ़ा लिखा होना जरूरी - हरियाणा

सरपंच, सांसद, और विधायक लोगों का आदर्श होते हैं। लोग नेताओं का अनुगमन करते हैं नेताओं को पढ़ा लिखा होना चाहिए। ये दलीलें मंगलवार को हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता के कानून की तरफदारी करते हुए सुप्रीमकोर्ट में दी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2015 05:12 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2015 05:27 AM (IST)
नेता आदर्श होते हैं उनका पढ़ा लिखा होना जरूरी - हरियाणा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरपंच, सांसद, और विधायक लोगों का आदर्श होते हैं। लोग नेताओं का अनुगमन करते हैं नेताओं को पढ़ा लिखा होना चाहिए। ये दलीलें मंगलवार को हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता के कानून की तरफदारी करते हुए सुप्रीमकोर्ट में दी।

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राज्य सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता की तरफदारी करते हुए कहा कि नेता लोगों का आदर्श होते हैं लोग उनका अनुगमन करते हैं उन्हें पढ़ा लिखा होना चाहिए। अगर सरपंच ही पढ़े लिखे नहीं होंगे तो कोई और स्कूल क्यों जाएगा। रोहतगी ने कहा कि ये कानून प्रगतिवादी कदम है। सरपंच की दोहरी भूमिका होती है एक तो वह नेता होता है दूसरे वह एक्जूक्यूटिव आफीसर भी होता है। उसे एक्जीक्यूटिव कार्यों को करने के लिए पढ़ा लिखा होना चाहिए। सरपंच की कई जिम्मेदारियां होती हैं। विकास योजनाएं, कृषि भूमि सुधार आदि आज के दौर में भूमि सुधार बहुत महत्वपूर्ण है बिना शिक्षा के इन मामलों को कैसे डील किया जा सकता है। पंचायत चुनाव के लिए योग्यता अयोग्यता तय करना राज्य सरकार का अधिकार है।

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उन्होने गंभीर अपराध में आरोप निर्धारित होने पर चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराने के नये कानून को सही बताते हुए कहा कि कहा कि नेता उदाहरण पेश करते हैं। उनकी सरकार राजनीति से अपराधीकरण समाप्त करना चाहती है। अब 1948 का समय नहीं रहा जब कि 80 फीसद लोग अशिक्षित थे आज 2015 है समय बदल गया है। रोहतगी ने कहा कि चुनाव लड़ने के साथ कुछ जिम्मेदारियां भी होती है। अगर सरपंच के घर शौचालय होगा तो वे लोगों को दिखा पाएंगे कि उनके घर के लोग बाहर नहीं जाते हैं। रोहतगी की बहस कल भी जारी रहेगी।

रोहतगी से पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इन्द्रा जयसिंह ने बहस की और कानून का विरोध किया। जयसिंह ने कहा कि नये कानून में चुनाव लड़ने के लिए घर में शौचालय होने की शर्त रखी गई है। लेकिन घर में शौचालय तभी होगा जबकि उसका अपना घर हो। उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए संपत्तिवान होने के मुद्दे पर संविधान सभा में बहस हुई थी और तब ये तय पाया गया था कि जिसके पास संपत्ति नहीं है वह भी चुनाव लड़ सकता है लेकिन घर में शौचालय की अनिवार्यता संपत्ति वान होने की शर्त लगा रही है। जयसिंह ने यह भी कहा कि हर व्यक्ति पढ़ना लिखना चाहता है लेकिन कई बार परिस्थितियां नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि संविधान में राज्य सरकार को चुनाव लड़ने की अयोग्यता तय करने का अधिकार दिया गया है लेकिन अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता की शर्त एक प्रकार से योग्यता तय करती है न की अयोग्यता।

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