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घबराई साहित्य अकादमी ने 23 अक्टूबर को बुलाई आपात बैठक

साहित्‍य अकादमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्‍कार लौटाने और अकादमी से इस्‍तीफा देने पर अब डाक्‍टर विश्‍वनाथ ने सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि जो लोग इस तरह का काम कर रहे हैं उनका यह तरीका सही नहीं है। इस मुद्दे को लेकर संस्थान ने 23 अक्टूबर को साहित्य अकादमी

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2015 08:50 AM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2015 01:43 PM (IST)
घबराई साहित्य अकादमी ने 23 अक्टूबर को बुलाई आपात बैठक

नई दिल्ली। साहित्य अकादमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार लौटाने और अकादमी से इस्तीफा देने पर अब डाक्टर विश्वनाथ ने सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि जो लोग इस तरह का काम कर रहे हैं उनका यह तरीका सही नहीं है। इस मुद्दे को लेकर संस्थान ने 23 अक्टूबर को साहित्य अकादमी की आपात बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा कि विरोध करने के दूसरे तरीके भी होते हैं, लेकिन पुरस्कार लौटाना इसका हल नहीं है।

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अपनी बात को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि साहित्यकारों को यह पुरस्कार कोई सरकार नहीं बल्कि साहित्य अकादमी देती है। यह साहित्यकारों की लेखनी के चलते ही उन्हें दिया जाता है। ऐसे में साहित्यकारों का इस तरह विरोध जायज नहीं कहलाया जा सकता है।

गौरतलब है कि देश में बढ़ती असहिष्णुता और खराब होते सांप्रदायिक माहौल के खिलाफ साहित्यकारों का विरोध बढ़ता जा रहा है। कन्नड़ लेखक और तर्कवादी विचारक एमएम कलबर्गी की हत्या पर साहित्य अकादमी की चुप्पी के विरोध में रविवार को आधा दर्जन और साहित्यकारों ने अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की। इसके अलावा गुजराती लेखक गणोश देवी, अंग्रेजी के कथाकार अमन सेठी, कन्नड़ के कुम वीरभद्रप्पा और पंजाबी भाषा के गुरबचन भुल्लर, अजमेर सिंह औलख व आत्मजीत सिंह ने अकादमी की चुप्पी पर सवाल उठाया है।

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