इंसानियत और अनेकता में एकता की सोच को न छोड़ेंः राष्ट्रपति
दादरी कांड की पृष्ठभूमि में एकता और विविधता को बनाए रखने का संदेश देने वाले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बढ़ती असहिष्णुता पर सोमवार को फिर गंभीर सवाल किया कि क्या देश में सहिष्णुता और असहमति की स्वीकार्यता गायब हो रही है?
नई दिल्ली। दादरी कांड की पृष्ठभूमि में एकता और विविधता को बनाए रखने का संदेश देने वाले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बढ़ती असहिष्णुता पर सोमवार को फिर गंभीर सवाल किया कि क्या देश में सहिष्णुता और असहमति की स्वीकार्यता गायब हो रही है?
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक साप्ताहिक अखबार द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हालात कैसे भी क्यों न हों, समाज को मानवता और बहुलता को नहीं छोड़ना चाहिए। हमें अपनी सामूहिक ताकत को समाज की बुरी शक्तियों से ल़़डने में कवच बनाना चाहिए। समावेशन भारतीय समाज का चरित्र है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत हमेशा से अपनी विविधता और सहिष्णुता के लिए जाना जाता रहा है। अगर ऐसा नहीं होता तो भारत की सभ्यता 5 हजार सालों का सफर तय नहीं कर पाती। इसने हमेशा ही असहमति और विविधता को स्वीकार किया है। भारत में ब़़डी संख्या में भाषाएं, 1600 बोलियां तथा सात धर्म एकसाथ हैं। हमारे पास एक ऐसा संविधान है, जिसमें सभी विविधताओं का समावेश है।
महामाया करेंगी बुरी ताकतों का नाश
राष्ट्रपति ने दुर्गापूजा के मौके पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उम्मीद है कि सभी सकारात्मक ताकतों की प्रतीक 'महामाया' असुरों और बुरी ताकतों का नाश करेंगी।'
राष्ट्रपति की ये टिप्पणियां मुंबई में शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे उपद्रवों के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। शिवसैनिकों ने पिछले दिनों पाकिस्तानी गायक गुलाम अली का कार्यक्रम रद्द करवाया, सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख पोती थी। अब भारत और पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्डो के प्रमुखों के बीच बातचीत को लेकर हंगामा किया है।
दूसरी ओर सोमवार को एक हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ताओं ने भी दिल्ली प्रेस क्लब में जम्मू-कश्मीर के निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल राशिद पर स्याही और मोबिल ऑइल फेंक दिया। वे राशिद द्वारा इसी माह श्रीनगर में बीफ पार्टी आयोजित किए जाने का विरोध कर रहे थे।
इससे पहले राष्ट्रपति मुखर्जी ने 8 अक्टूबर को भी देशवासियों से सहिष्णुता, बहुलता जैसे मूल्यों को न खोने देने की अपील की थी। तब राष्ट्रपति का यह बयान दादरी कांड की पृष्ठभूमि में आया था और इसे केंद्र सरकार के लिए संदेश के तौर पर देखा गया था।
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