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सरकार के नए आदेश से और बढ़ेगी दालों की किल्लत

आयातकों, निर्यातकों, मिल मालिकों एवं डिपार्टमेंटल स्टोरों के लिए दालों की भंडार सीमा पर अंकुश लगाने का निर्णय नुकसानदेह साबित हो सकता है। इससे दालों की किल्लत और बढ़ सकती है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2015 04:30 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2015 04:38 AM (IST)
सरकार के नए आदेश से और बढ़ेगी दालों की किल्लत

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। आयातकों, निर्यातकों, मिल मालिकों एवं डिपार्टमेंटल स्टोरों के लिए दालों की भंडार सीमा पर अंकुश लगाने का निर्णय नुकसानदेह साबित हो सकता है। इससे दालों की किल्लत और बढ़ सकती है।

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भारतीय खाद्य अधिनियम, 1955 में खाद्य मंत्रालय द्वारा कल किया गया संशोधन दाल व्यवसाय से जुड़ी इकाइयों को व्यावहारिक नहीं लग रहा है। इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी इसे सरकार द्वारा बौखलाहट में उठाया गया कदम बताते हैं। उनका कहना है देश में दालों का घरेलू भंडार बिल्कुल खत्म होने के कगार पर है।

रबी की फसल आने में तीन महीने शेष हैं, और खराब मानसून के कारण उससे भी खास उम्मीद नहीं की जा रही है। जबकि अगले तीन महीनों में दाल आयातकों द्वारा करीब 20 लाख टन दलहन (साबुत दाल) का आयात किया जाना है। जिससे कुछ राहत की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन सरकार के नए निर्णय के बाद आयातक दालों का बड़ी मात्रा में निर्यात करने से डरेंगे। दलहन से दाल बनाने वाली मिलें भी अपना काम ठीक से नहीं कर पाएंगी। इससे देश में दालों की कमी और बढ़ेगी, और बाजार में दालें मिलनी ही मुश्किल हो जाएंगी।

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कोठारी बताते हैं कि आयातक एक बार में 100 टन से लेकर 50,000 टन तक दलहन का आयात करते हैं। कनाडा से आने वाली पीली मटर का जहाज 50,000 टन का होता है। ये माल एक दिन में बेचा नहीं जा सकता। न ही दाल मिलें एक दिन में इतने दलहन की दलाई कर सकती हैं। इसलिए सरकार द्वारा लगाया गया कोई भी अंकुश इस क्षेत्र के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा। कोठारी के अनुसार खाद्य मंत्रालय स्वयं 5,000 टन दाल आयात करने का दावा कर रहा है। जबकि देश में एक दिन की खपत 6,000 टन की है। ऐसे में सरकार द्वारा आयात की जा रही दाल तो ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगी।

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कनाडा से करीब पांच लाख टन लाल उड़द की खेप 15 अक्तूबर से 31 जनवरी के बीच आनी है। इसी दौरान कनाडा, रूस, यूक्रेन और फ्रांस से करीब 10 लाख टन सफेद मटर की खेप भारत पहुंचनी है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया से करीब 4.5 लाख टन चना 15 दिसंबर से 15 फरवरी के बीच भारत आना है। इस प्रकार अगले कुछ महीनों में 20 से 22 लाख टन दालहन के आयात के सौदे हो चुके हैं। सरकार का नया फर्मान ये सौदे कर चुके आयातकों के लिए मुश्किलें ही खड़ी करेगा।

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