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गलत काम तो बाप ने किया, पत्थर तोड़ पालूंगी, पर बच्चा किसी को नहीं दूंगी

दो बच्चियां। दोनों की ही उम्र गुड़ियों से खेलने की। एक पन्‍ना की और एक खंडवा की। लेकिन दोनों ही नियति के दुर्भाग्य में उलझ गई हैं। किसी नरपिशाच का पाप झेल रही एक बच्ची मां बन गई है तो दूसरी मां बनने वाली है। गुनहगार अपनी करतूत पर शर्मिंदा

By Sachin kEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2015 10:03 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2015 11:00 AM (IST)
गलत काम तो बाप ने किया, पत्थर तोड़ पालूंगी, पर बच्चा किसी को नहीं दूंगी

दो बच्चियां। दोनों की ही उम्र गुड़ियों से खेलने की। एक पन्ना की और एक खंडवा की। लेकिन दोनों ही नियति के दुर्भाग्य में उलझ गई हैं। किसी नरपिशाच का पाप झेल रही एक बच्ची मां बन गई है तो दूसरी मां बनने वाली है। गुनहगार अपनी करतूत पर शर्मिंदा भले न हों, लेकिन नारी को पूजने वाले हमारे समाज ने दोनों बच्चियों को सजा सुना दी है। एक को गांव के दबाव में उसकी मां ने ही ठुकरा दिया तो दूसरी को समाज ने बाहर कर दिया।

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गलत काम तो बाप ने किया, पत्थर तोड़ पालूंगी, पर बच्चा किसी को नहीं दूंगी

उम्र 13 साल। अनपढ़। लेकिन कोख में पलते बच्चे को न तो मारना चाहती और न ही किसी को देना। अपने सौतेले पिता के कुकर्मों की शिकार हुई यह नाबालिग दो माह बाद मां बन जाएगी। उससे पूछा कि, बच्चे का क्या करोगी? स्पष्ट जवाब मिला...मैं इसे पालूंगी।

बाप ने बुरा काम किया, लेकिन बच्चे की क्या गलती है। कैसे पालेगी..? जवाब... पत्थर तोड़कर। पन्ना जिले के मांझा गांव की ये लड़की फिलहाल कटनी के बालिका गृह लिटिल स्टार फाउंडेशन में रह रही है। इस नाबालिग के साथ सौतेले पिता ने 10 साल की उम्र से बलात्कार किया।

जुलाई 2015 तक न तो इस नाबालिग को गर्भ की जानकारी थी और न ही इसकी मां को। इसके बाद पेट दर्द की शिकायत लेकर मां-बेटी जब अस्पताल पहुंची तो पता चला कि नाबालिग के साथ दुष्कर्म हुआ है और गर्भवती हुए 5 माह बीत चुके हैं। 3 अगस्त को सौतेले पिता जगत गौड़ के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा कायम कर गिरफ्तार किया। आरोपी पिता की गिरफ्तारी के बाद मां ने गांव वालों के डर से बेटी को ठुकरा दिया।

कानून कैसे बदलेगा

कानूनन नाबालिग के हस्ताक्षर मान्य नहीं होते और कानून नाबालिग को बच्चा रखने की इजाजत भी नहीं दे सकता। क्योंकि वो खुद की देखभाल में भी सक्षम नहीं है। यानी न तो बालिका के हस्ताक्षर से बच्चे को गोद दिया जा सकता और न ही बालिका को सुपुर्द किया जा सकता। नाबालिग की मां तो पहले ही बेटी को ठुकरा चुकी है, इसलिए उसकी सुपुर्दगी भी संभव नहीं है। वह खुद बालिका गृह में रह रही है, जहां 6 साल के बाद ही किसी बच्ची को रखा जा सकता है।

दुष्कर्म से जन्मा बच्चा, समाज से निकाल दिया, अब कभी नहीं पढ़ेगी लाड़ली

खेडीकित्ता गांव की एक नाबालिग की दास्तां भी ऐसी ही है। गांव के ही एक लड़के की हवस का शिकार बनी इस मजदूर की बेटी की जिंदगी भी अंधेरे में डूब गई। मामला मार्च 2015 का है। पेट दर्द की शिकायत पर जब इस 14 साल की नाबालिग को खण्डवा के जिला अस्पताल में पहुंचाया गया तो पता चला कि नाबालिग के साथ दुष्कर्म हुआ है। चंद घंटों में ही नाबालिग ने एक बच्चे को जन्म दिया।

बच्चे को अनाथ आश्रम भेज दिया गया, लेकिन नाबालिग को डेढ़ माह अस्पताल में रहना पड़ा। लेकिन जैसे ही डेढ़ महीने बाद नाबालिग अपने गांव पहुंची तो सबकी निगाहें बदली हुई थीं। भिलारा समाज ने अघोषित तौर पर इन्हें समाज से निकाल दिया। समाज के लोगों का कहना था कि अगर घटना हुई भी थी, तो पंचायत में सुलझाना था। पुलिस को नहीं बताना था। पिता ने अपनी इसके घटना के बाद दोनों बेटियों का स्कूल जाना छुड़वा दिया।

नाबालिग के पिता का कहना है कि 60 साल का हो गया साहब, पर ऐसा घिनौना काम कभी नहीं देखा। मेरी बेटी की उम्र ही क्या थी। अब तो अपनी आंखों के सामने ही रखूंगा और अगले साल शादी कर दूंगा।

पिता बोले- अब नहीं जाएगी बेटी स्कूल

मैं तो अपनी 6 संतानों में तीनों बेटियों को भी पढ़ा रहा था। सोचा था कि पढ़ने के बाद नौकरी मिल जाएगी तो अच्छे घर में शादी कर दूंगा। पहली बेटी की शादी तो बहुत पहले कर दी थी। मेरी दूसरी बेटी स्कूल जाती थी, इसके साथ बहुत बुरा हुआ। अब अपनी बेटी की रखवाली करूं तो मजदूरी करने कौन जाएगा। मैं आपनी बेटी को अकेला स्कूल नहीं भेज सकता।

-प्रमोद त्रिवेदी

साभारः नई दुनिया

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