Move to Jagran APP

दशकों पुराने रिश्तों को नई पहचान में जुटे भारत व रूस

भारत और रूस अपने दशकों पुराने रिश्तों में नई गर्मजोशी भरने की कोशिश करने वाले हैं। यह काम ऐसे समय होगा, जब अमेरिका भारत को रणनीतिक साङोदार देश करार दे चुका है और रूस पाकिस्तान में लगातार निवेश बढ़ाता जा रहा है। इसी महीने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अगुआई

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2015 08:33 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2015 08:50 AM (IST)
दशकों पुराने रिश्तों को नई पहचान में जुटे भारत व रूस

नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। भारत और रूस अपने दशकों पुराने रिश्तों में नई गर्मजोशी भरने की कोशिश करने वाले हैं। यह काम ऐसे समय होगा, जब अमेरिका भारत को रणनीतिक साझेदार देश करार दे चुका है और रूस पाकिस्तान में लगातार निवेश बढ़ाता जा रहा है। इसी महीने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अगुआई में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधि दल रूस की यात्र पर जाने वाला है।

loksabha election banner

यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस वर्ष दिसंबर में प्रस्तावित रूस दौरे के दौरान होने वाले समझौते की जमीन तैयार करेगा। इन दोनों उच्चस्तरीय यात्रओं के दौरान भारत और रूस के बीच रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में अहम समझौते होने की संभावना है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस यात्र के दौरान भारत और रूस के बीच गठित सरकारी आयोग की बैठक की अध्यक्षता रूसी विदेश मंत्री दिमित्री रोगोजिन के साथ करेंगी।

यह आयोग भारत और अमेरिका के बीच गठित स्ट्रेटजिक कॉमर्शियल डायलॉग जैसा है। सूत्रों के मुताबिक वैसे तो बैठक में रक्षा, व्यापार, आतंकवाद, तकनीकी सहयोग, अंतरराष्ट्रीय मसलों के बारे में भी चर्चा होगी, लेकिन ऊर्जा क्षेत्र में कई अहम समझौते होने की राह इससे निकलने वाली है। खास तौर पर रूस के तेल व गैस क्षेत्र में इस बार भारत की पेट्रोलियम कंपनियों को अहम हिस्सेदारी मिलने का रास्ता भी साफ हो सकता है।

भारत सरकार इसके लिए पिछले कई वर्षो से आग्रह कर रही है कि रूस के ऊर्जा स्नोतों में भारतीय कंपनियों को ज्यादा निवेश करने की आजादी मिलनी चाहिए। आगामी बैठक के एजेंडे में आर्थिक मुद्दे ही सबसे अहम होंगे। खास तौर पर वर्ष 2025 तक किस तरह से द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाकर 30 अरब डॉलर का किया जाए, इसका रोडमैप आयोग की बैठक में तैयार किया जाएगा। अभी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार 10 अरब डॉलर का है। भारत भले ही रूस से ज्यादा आयात करता हो, लेकिन निवेश के मामले में भारतीय कंपनियां आगे हैं।

भारतीय कंपनियों ने अभी तक रूस में आठ अरब डॉलर का निवेश किया है। रूस की कंपनियों का भारत में निवेश चार अरब डॉलर का है। भारत चाहता है कि रूसी कंपनियां मोदी सरकार के ‘मेड इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत यहां निवेश करें। मोदी ने उफा बैठक के दौरान जब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अलग से बैठक की थी, तब ‘मेड इन इंडिया’ का जिक्र किया था। इस बार आयोग की बैठक में भारत की तरफ से ठोस तौर पर उन क्षेत्रों का प्रस्ताव किया जाएगा, जहां रूस की कंपनियां निवेश कर सकती हैं।

अमेरिका और रूस के बीच रिश्ते सामान्य

सूत्रों के मुताबिक आयोग की बैठक में दोनों देशों के बीच रुपये व रूबल में द्विपक्षीय कारोबार का भुगतान करने का नया तरीका निकालने को लेकर भी बातचीत होगी। इस बारे में फैसला हो जाने के बाद द्विपक्षीय व्यापार में काफी तेजी से बढ़ोतरी होने की संभावना है। खास तौर पर पुतिन ने यह मुद्दा पिछले दिनों उठाया था। रूस चीन के साथ ही युआन में कारोबार के भुगतान का समझौता कर चुका है। अब भारत के साथ ऐसा ही समझौता करना चाहता है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो भारतीय प्रधानमंत्री की मास्को यात्र के दौरान अहम घोषणा हो सकती है।

पढ़ें: सिंधुरक्षक हादसे के पीछे हो सकती है सुरक्षा नियमों की अनदेखी: रूस


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.