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अंतर्कलह की शिकार कांग्रेस गवां रही है मुद्दे, गुटबाजी चरम पर

जांच दल में नामित होने के बावजूद पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’ विधायक अजय राय पर रासुका लगाने पर कार्यकर्ताओं के मन की सुनने को बनारस नहीं पहुंचे। इसी तरह दादरी प्रकरण में दस अक्टूबर को दिल्ली गेट पर ‘सद्भावना उपवास’ में कई दिग्गजों का आमंत्रण के बाद भी

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2015 08:13 AM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2015 08:39 AM (IST)
अंतर्कलह की शिकार कांग्रेस गवां रही है मुद्दे, गुटबाजी चरम पर

लखनऊ । जांच दल में नामित होने के बावजूद पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’ विधायक अजय राय पर रासुका लगाने पर कार्यकर्ताओं के मन की सुनने को बनारस नहीं पहुंचे। इसी तरह दादरी प्रकरण में दस अक्टूबर को दिल्ली गेट पर ‘सद्भावना उपवास’ में कई दिग्गजों का आमंत्रण के बाद भी नहीं पहुंचना कांग्रेस में भीतरी रार को जाहिर कर रहा है। इस आंतरिक कलह के चलते कांग्रेस अहम मसलों पर न सियासी लाभ ले पा रही है और न ही कार्यकर्ताओं में उत्साह भर पा रही है।

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आपसी तालमेल न होने के कारण ही बनारस प्रकरण पर प्रस्तावित राजभवन मार्च की तारीख बदल दी गई। गुरुवार को कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन सत्यदेव त्रिपाठी ने बनारस प्रकरण का विरोध जताने के लिए 20 अक्टूबर को राजभवन मार्च की घोषणा की थी। शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता इंचार्ज वीरेंद्र मदान ने कार्यक्रम में बदलाव की जानकारी देते हुए बताया अपरिहार्य कारण से मार्च एक दिन पहले 19 अक्टूबर को आहूत किया जाएगा। राजभवन मार्च कार्यक्रम में अचानक बदलाव को भी गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है विधानमंडल दल नेता प्रदीप माथुर ने प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री को विश्वास में लिए बिना ही राजभवन में ज्ञापन सौंपने के लिए एक दिन पूर्व का समय ले लिया जिससे पार्टी में नाराजगी है।

श्रेय लेने से भी चूके

मोदी सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून पर यू-टर्न लेने के मुद्दे का सियासी लाभ लेने में भी कांग्रेसी नाकाम रहे और इससे राहुल गांधी की मेहनत पर भी पानी फिरता नजर आया। कांग्रेस की किसान हितैषी छवि बनाने का मौका भी हाथ से जाता रहा।

जानते-बूझते अनदेखी

प्रदेश संगठन में गुटबाजी का सच प्रभारी महामंत्री मधुसूदन मिस्त्री भी स्वीकार करते हैं कि सबसे पुरानी पार्टी होने के कारण कांग्रेस में गुटबाजी हो सकती है। 21 सितंबर को मथुरा के चिंतन शिविर में भी गुटबाजी का निदान नहीं तलाशा जा सका। इसके चलते प्रदेश में मुद्दों की भरमार के बावजूद कांग्रेस जनता के बीच जगह बनाने में नाकाम रही।


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